Brinjal farming in hindi: बैंगन का भर्ता हो, सब्जी हो या पकौड़ा, खाने में यह बहुत ही स्वादिष्ट होती है। इसकी मांग भी बाजार में बहुत होती है। बैंगन की खेती (baigan ki kheti) किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। बैंगन की गिनती सभी मौसम में होने वाली प्रमुख सब्जियों में की जाती है।
तो ताजा खबर online के इस लेख में जानें– बैंगन की खेती कैसे करें? (baigan ki kheti kaise karen)
बैंगन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for cultivation of brinjal)
भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में बैंगन की खेती (Brinjal farming) की जाती है। इसके लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। कार्बिनक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी बैंगन की अच्छी उपज के लिए सबसे अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए।
बैंगन की खेती का समय (eggplant cultivation time)
ठंड के मौसम में होने वाले बैंगन की बुआई जुलाई-अगस्त में करनी चाहिए। गर्मी के मौसम में होने वाले बैंगन की बुआई जनवरी-फरवरी माह में करनी चाहिए। वहीं अप्रैल महीने में बारिश के मौसम में होने वाले बैंगन की बुआई की जाती है।
खेत की तैयारी
बैंगन की बेहतर पैदावार के लिए 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के अनुसार सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। बीजों को लगाने के लगभग 21 से 25 दिन के बाद पौधे खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं। पौधों की रोपाई शाम में करना अच्छा होता है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
बैंगन की बेहतर पैदावार के लिए उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer management for better yield of brinjal)
- 3 से 4 टन सड़ी गोबर की खाद खेत के तैयार करते समय डालें।
- 32 किलोग्राम नाइट्रोजन को 3 भागों में बांटे। 10 किलोग्राम नाइट्रोजन को प्रति एकड़ भूमि में 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 120 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट मिलाएं।
- बाकी बची नाइट्रोजन का 30 व 45 दिन बाद, खरपतवार नियंत्रण के पश्चात् खडी फसल में छिड़काव करें।
- आखिरी जुताई के समय 250 किलोग्राम प्रति एकड़ नीम खली का प्रयोग करें।
- खड़ी फसल में जीवामृत के 4 से 5 छिड़काव करें। और रोपण के समय जैव उर्वरक से उपचार करें।
बैंगन के प्रकार (types of eggplant)
बैंगन कई प्रकार के होते हैं। सभी प्रकार के बैंगन के पौधों और फलों में बहुत अंतर होता है। बैंगन का रंग बैंगनी से लेकर सफेद, हरा और गुलाबी होता है। यह गोल, अंडाकार, लम्बे और नाशपाती के आकार के होते हैं।
बैंगन की उन्नत किस्में- (varieties of brinjal) Baigan Ki Kheti
स्वर्ण शक्ति
यह बैंगन का संकर किस्म है। इस किस्म के बैंगन को पैदावार की दृष्टि से सबसे अच्छा माना जाता है। एक बैंगन का वजन लगभग 150 से 200 ग्राम के बीच और रंग बैंगनी होता है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 700 से 750 क्विंटल बैंगन प्राप्त कर सकते हैं।
स्वर्ण प्रतिभा
इस प्रजाति के बैंगन आकर में बड़े और लम्बे चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 600 से 650 क्विंटल बैंगन प्राप्त किया जा सकता है।
स्वर्ण श्री
इसके पौधे 60 से 70 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं। इसकी पत्तियां चौड़ी होती हैं। इस प्रजाति के बैंगन अंडाकार और सफेद रंग के होते हैं। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 550 से 600 क्विंटल बैंगन की उपज होती है।
स्वर्ण श्यामली
इस प्रकार के पौधों में होने वाले बैंगन गोल और हरे रंग के होते होते हैं। बैंगन के ऊपर सफेद रंग के धारियां होती हैं। इसे लगाने के लगभग 35 से 40 दिन बाद पौधों से बैंगन प्राप्त किया जा सकता है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 600 से 650 क्विंटल बैंगन प्राप्त कर सकते हैं।
स्वर्ण मणि
इसकी पत्तियां बैगनी रंग की और पौधों की लम्बाई लगभग 70 से 80 सेंटीमीटर होती है। एक बैंगन का वजन करीब 200 से 300 ग्राम होता है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 600 से 650 क्विंटल बैंगन की उपज होती है।
बैंगन की खेती में ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें (Some important things in brinjal farming)
- बुआई के 40-50 दिन तक बैंगन की फसल को खरपतवार से मुक्त रखें।
- जड़ों के पास मिट्टी चढ़ाते रहें।
- फूल लगते समय उपयुक्त मात्रा में सिंचाई करें।
- सही समय पर कीटनाशकों का प्रयोग करें।
- बैंगन की खेती 20 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान पर न करें।
- खाद डालने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करा लें।
ये तो थी बैंगन की खेती की संपूर्ण जानकारी (Complete information about Brinjal cultivation in hindi)। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।