Friday, April 18, 2025

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15 जांचों के बाद बाजार में आते हैं ट्रैक्टर, यहां जानें कैसे होती है ट्रैक्टर की जांच How tractors are made in factory in hindi

How tractors are made in factory in hindi: किसान साथियों! आप तो जानते ही होंगे कि खेती-किसानी के लिए ट्रैक्टर(tractors) कितना जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रैक्टर का निर्माण कैसे होता है और यह आप तक पहुंचने के पहले कितने जांच से गुजरता है? यदि नहीं!

तो आइए ताजा खबर online के इस लेख में जानें- ट्रैक्टर निर्माण में कितने प्रकार की जांच होती है।

  1. ब्रेक टेस्ट

ट्रैक्टर को सड़क पर चलाकर ब्रेक की जांच की जाती है कि ब्रेक सही काम करते हैं या नहीं और कितनी जल्दी काम करते हैं।

  1. हाइड्रोलिक टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक लिफ्टिंग क्षमता और हाइड्रोलिक स्पीड की जांच की जाती है।

  1. पीटीओ लैब टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को अलग-अलग कंडीशन में चलाया जाता है, साथ ही ट्रैक्टर की पीटीओ स्पीड की विभिन्न यंत्रों की मदद से जांच की जाती है। कंपनी जो पीटीओ स्पीड उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है, वह किसान को मिलेगी या नहीं, इसकी जांच भी की जाती है।

  1. ड्रा बार टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की पुलिंग पावर को जांचने के लिए ट्रैक्टर के ड्रा बार को एक हैवी व्हीकल के साथ जोड़ दिया जाता है और ट्रैक्टर को कंक्रीट के रोड पर चलाया जाता है।

  1. ग्रेविटी टेस्ट

ग्रेविटी टेस्ट में यंत्रों की मदद से अलग-अलग पॉजिशन में ट्रैक्टर की ग्रेविटी का पता लगाया जाता है।How tractors are made in factory in hindi

  1. विजिबिलिटी टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को एक स्थान पर खड़ा करके अलग-अलग 6 एंगल से विजिबिलिटी टेस्ट किया जाता है।

  1. स्मोक लेवल टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को सामान्य और भारी लोड की कंडिशन में चलाया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर के स्मोक लेवल का पता लगाया जाता है।

  1. टर्निंग ऐबिलिटी टेस्ट

इस टेस्ट में आधुनिक यंत्रों से ट्रैक्टर के टर्निंग रेडियस का पता लगाया जाता है।

  1. वाइब्रेशन टेस्ट

इस ट्रेस्ट में ट्रैक्टर का इंजन कितना कंपन करता है, इसकी जांच की जाती है।

  1. वाटर प्रूफ टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को पानी में डूबाया जाता है। इससे ट्रैक्टर की सील्ड पैकिंग का पता चलता है।

  1. नॉइज़ लेवल टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की आवाज या शोर का पता लगाने के लिए नॉइज़ लेवल टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में 20 से 25 फीट की दूरी से ड्राइवर के कान पर विशेष उपकरण लगाकर ट्रैक्टर के शोर का पता लगाया जाता है।

  1. एयर क्लीनर ऑयल पुल ओवर टेस्ट

इस टेस्ट में ऑयल बॉथ एयर क्लीनर का टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में ट्रैक्टर को चलाने के बाद ऑयल कितना खराब हुआ इसका पता लगाया जाता है।

  1. फील्ड टेस्ट

इस परीक्षण में ट्रैक्टर को रोटावेटर, कल्टीवेटर आदि उपकरणों के साथ कई-कई घंटों तक खेत में चलाया जाता है।ट्रैक्टर से पुडलिंग का काम कराया जाता है।

  1. हॉलेज टेस्ट

इस ट्रैक्टर में ट्रैक्टर को लोड ट्रॉली से जोड़कर फुल आरपीएम पर 60 किलोमीटर तक चलाया जाता है।

  1. सभी पार्ट्स को खोलना

इन सभी टेस्ट के बाद ट्रैक्टर के सभी पार्ट्स को खोला जाता है और इन पार्ट्स की अलग-अलग जांच होती है। फिर इसकी जानकारी ट्रैक्टर कंपनी के मालिकों को दी जाती है।

किसान साथियों! आपको यह ब्लॉग कैसा लगा, कमेंट कर जरूर बताइएगा, इसके साथ ही साथ इस लेख को शेयर करना ना भूलें।

resource : https://bit.ly/3vdbUvl

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