अविमुक्तेश्वरानंद,: बागेश्वर धाम (BaghesHwar Dham) के पीठाधीश धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendrashastri) सुर्खियों में होता हैं. उनके भक्त जिसे ‘चमत्कार’ कहते हैं, उस पर वाद-विवाद का दौर जारी होती है. इस बीच धीरेंद्र शास्त्री को ‘चमत्कार दिखाने’ की चुनौती भी मिलती है. हालिया, चुनौती स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami AvimuktesHwaranand) स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिर्मठ के मौजूदा शंकराचार्य भी होता हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी आजकल चर्चा में होते हैं. अक्सर अपने बयानों के कारण भी सुर्खियों में रहते हैं.
‘जोशीमठ को जोड़ दो’
कुछ दिन पहले जोशीमठ की धंसती जमीन को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. वहीं, हाल ही में देहरादून हवाई अड्डे के खंबों पर बौद्ध धर्म का मंत्र लिखा देख भड़क गए थे. ‘पठान’ के ‘बेशर्म रंग’ गाने को लेकर हुए विवाद के बाद ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ बनाया. अब बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra shastri) को बिना उनका नाम लिए चुनौती होती है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शनिवार, 21 जनवरी को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कहा,
सारे देश की जनता ‘चमत्कार’ चाहती है.और जोशीमठ में जो दरार आ गई है उसको जोड़ दो. दिखाओ न ‘चमत्कार’. सारे देश की जनता ‘चमत्कार’ चाहती है.
उन्होंने कहा कि ‘चमत्कार’ दिखाने वाले जोशीमठ आकर धंसती जमीन को रोककर दिखाएं, तब मैं उनके ‘चमत्कार’ को मान्यता दूंगा. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा,
वेदों के अनुसार ‘चमत्कार’ दिखाने वालों को मैं मान्यता देता हूं, लेकिन अपनी वाहवाही और ‘चमत्कारी’ बनने की कोशिश करने वालों को मैं मान्यता नहीं देता.
कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 11 सितंबर, 2022 को निधन हो गया था. वे द्वारका के शारदा पीठ और बद्रिकाश्रम के ज्योतिष पीठ के प्रमुख थे. उनके निधन के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ और स्वामी सदानंद को शारदा पीठ का प्रमुख बनाया गया था.
स्वामी अविमुक्तेशवरानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को हुआ था. बचपन में इनका नाम उमाशंकर पांडे था. शुरुआती पढ़ाई ब्राह्मणपुर गांव के ही एक स्कूल में हुई. इसके बाद की पढ़ाई गुजरात के बड़ौदा की महाराजा सयाजी राव यूनिवर्सिटी में हुई.
फिर संस्कृत का अध्ययन करने वाराणसी पहुंचे. सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में इसकी पढ़ाई पूरी की. काशी में ही उनकी मुलाकात स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से हुई थी. साल 2000 में उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गए. फिर उनका नाम उमाशंकर पांडे से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पड़ गया.
ज्ञानवापी मामले में अनशन पर बैठे थे
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 4 जून, 2022 को ज्ञानवापी परिसर में पूजा का ऐलान किया था. पुलिस प्रशासन की तरफ से रोके जाने के बाद वे 108 घंटे तक अनशन पर रहे थे. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कहने पर उन्होंने अनशन खत्म किया था.
पिछले साल दिसंबर में 2015 के एक मामले को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आत्मसमर्पण किया था. मामला एक यात्रा के दौरान बलवा, आगजनी, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और हत्या की कोशिश करने से जुड़ा था. हालांकि, चंद घंटों की ज्यूडिशियल कस्टडी के बाद उन्हें मामले में बेल भी मिल गई थी. इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले को कुछ ‘अधर्मियों’ की साजिश बताया था.
देहरादून हवाई अड्डे के खंबे पर नाराज़गी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल जनवरी में देहरादून हवाई अड्डे के खंबों पर बौद्ध धर्म का मंत्र लिखा देख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भड़क गए थे. उन्होंने सभी खंबों पर बौद्ध धर्म का मंत्र लिखा होने पर आपत्ति जताई जाती थी. उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि वो बौद्ध धर्म के विरोधी नहीं होता हैं, लेकिन क्या खंबों पर जय बद्री विशाल या जय केदार बाबा नहीं लिखा हो सकता था.
एक बार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद छिंदवाड़ा के किसी मंदिर में साईं की मूर्ति देखकर भी नाराज़ हो गए थे. उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा था कि आखिर राम-कृष्ण के मंदिर में साईं का क्या काम है? उन्होंने यह भी कहा था कि वो आगे से ऐसे मंदिर में नहीं जाएंगे.
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