Friday, December 13, 2024

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Bajra Ki Kheti : बाजरे की खेती कैसे करें ?

bajra ki kheti: कई लोग रोटी का मतलब समझते हैं सिर्फ गेंहू के आटे से बनी हुए रोटी। लेकिन क्या आपको पता है? गेंहू की रोटी से भी ज़्यादा फायदेमंद बाजरे की रोटी होती है। भारत में सबसे ज़्यादा इसकी खेती होती है। इसकी रोटियां लोगों को ताकत देती है। पेट की पाचन संबंधित समस्या को दूर करती है। बाजरा (Millet) गेंहू से महंगी बिकती है। अगर कोई किसान बाजरे की खेती (bajara ki kheti) कर उससे मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें बहुत फायदा होगा।

तो आइए ताजा खबर ऑनलाइन के इस लेख में बाजरे की खेती (bajara ki kheti) को करीब से जानते हैं।

इस लेख में आप जानेंगे

बाजरे की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

बाजरे की खेती के लिए मिट्टी

खेत की तैयारी

बीज और बुआई का समय

बाजरे की उन्नत किस्में

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन की जानकारी

बाजरे में लगने वाले कीट व रोग प्रबंधन

अधिक उत्पादन के लिए फसल चक्र कैसे अपनाएं

बाजरे की खेती (Millet farming) में लागत और कमाई

बाजरे की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु

बाजरे की खेती (bajara ki kheti) के लिए गर्मी का मौसम उपयुक्त होता है। कम बारिश वाले क्षेत्र में इसकी पैदावार अधिक होती है। अधिक बारिश वाले इलाकों में इसकी खेती से बचना चाहिए। जिन जगहों पर 40-60 सेंटीमीटर तक औसत बारिश होती है वहां इसकी अच्छी उपज होती है। अगर बारिश निरन्तर होते रहती है तो सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती। तापमान 32 से 37 सेल्सियस इस खेती के लिए अच्छा होता है।

बाजरे की खेती (bajra ki kheti) हमारे देश में सबसे अधिक राजस्थान, गुजरात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होती है। इसके अलावा अन्य राज्यों जैसे- हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भी इसकी खेती खूब होती है।

बाजरे की खेती के लिए मिट्टी

बाजरे की खेती (bajara ki kheti) लगभग हर तरह के मिट्टी में की जाती है, मगर बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज़्यादा उपयुक्त होता है। जलभराव वाले जमीन में इसकी खेती उपयुक्त नहीं होती है। पानी ज़्यादा दिनों तक भरे रहने से पौधों को रोग लग जाते हैं जिससे फसल बर्बाद हो जाते हैं। और पैदावार पर भी बुरा असर डालता है।

बाजरा के लिए खेत की तैयारी

खरीफ का मौसम बाजरे की खेती (bajara ki kheti) के लिए उपयुक्त होता है। इसके लिए गर्मी के दिनों में ही खेत की जुताई कर उसमें से खरपतवार हटा लें। पहली जुताई में ही 2-3 टन गोबर की खाद प्रतिहेक्टर की दर से मिट्टी में मिला लें। बाजरे की अच्छी पैदावार के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाली हल से जुताई करें। इसके बाद दो- तीन बार फिर से जुताई करें। दो-तीन बार जुताई करने के बाद खेतों में बुआई करें। जिस जगह पर आप खेती करने जा रहे हैं। अगर उस जगह पर दीमक और लट का प्रभाव है तो 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फॉस्फोरस अंतिम जुताई से पहले डाल दें।

बीज और बुआई का समय

Bajra Ki Kheti जिन क्षेत्रों में बारिश बहुत कम होती है, वहां मॉनसून शुरू होते ही बुआई कर देनी चाहिए। अगर आप उत्तर भारत में बाजरे की खेती (bajara ki kheti) करना चाहते हैं तो वहां इस खेती के लिए जुलाई का पहला सप्ताह अच्छा होता है। जुलाई के अंत में बुआई करने से 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फसल का नुक़सान होता है। बुआई में 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल करें।

Bajra Ki Kheti ध्यान रहे बीजों तो 40 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई करें। बीजों को एक कतार में बोएं। 10 से 15 दिन बाद अगर पौधे घने हो गए हैं तो छटाई कर दें। अगर बारिश का मौसम देर से आता है और अगर आप समय पर बुआई न कर पाए हैं तब ऐसी स्थिति में बुआई करने से बेहतर रोपाई करें। 1 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधा रोपाई के लिए लगभग 500 वर्गमीटर क्षेत्र में 2 से 3 किलोग्राम बीज उपयोग करते हुए जुलाई के पहले सप्ताह में नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए।

Bajra Ki Kheti अच्छी पैदावार के लिए फसलों की देखभाल करना भी बहुत आवश्यक है। जिसके लिए 1 से 15 किलोग्राम यूरिया डालें, लगभग 2 से 3 सप्ताह बाद पौधों की रोपाई मुख्य खेत में करनी चाहिए। जब पौधों को क्यारियों से उखाड़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि जड़ों को नुकसान ना पहुंचे। इसके अलावा नर्सरी में पर्याप्त नमी भी होना जरूरी है।

Millet farming : बाजरे की खेती

Bajra Ki Kheti बाजरे की उन्नत किस्में
अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है की आप बाजरे की उन्नतशील किस्मों का ही चुनाव करें।बाजरे की उन्नत किस्मों में आई.सी. एम.बी 155, डब्लू.सी.सी.75, आई.सी. टी.बी.8203 और राज-171 प्रमुख हैं।

जबकि संकर प्रजातियों में पूसा-322, पूसा 23 और आई.सी एम एच.441, पायोनियर बाजरा बीज 86 एम 88और 86 एम 84, बायर-9444 हाईब्रिड बाजरा शामिल हैं।

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

सिंचाई
बाजरा की खेती (bajara ki kheti) में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। बारिश नहीं होने पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई जरूर करें। ध्यान रहे पौधों में जब फूल और जब दाना बन रहा हो तो खेत में नमी की मात्रा कम न हो। जलभराव की समस्या हो तो जल निकासी का समुचित प्रबंध
कर दें।

उर्वरक

Bajra Ki Kheti सिंचित क्षेत्र में निम्नलिखित उर्वरकों का प्रयोग करें।

नाइट्रोजन 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

फॉस्फोरस 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बरानी क्षेत्रों में निम्नलिखित उर्वरक इस्तेमाल करें

नाइट्रोजन 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

फास्फोरस 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

पोटाश 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

इसके अलावा सिंचित या असिंचित क्षेत्रों में अगर जस्ते की कमी हो तो 5 किलोग्राम जस्ता प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।

बाजरे में लगने वाले कीट व रोग और उसका प्रबंधन
दीमक

दीमक से बचने के लिए 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से क्लोरोपाइरीफॉस का पौधों की जड़ों में छिड़काव करें इसके अलावा हल्की वर्षा के समय मिट्टी में मिला कर बिखेर दें।

तना मक्खी कीट

Bajra Ki Kheti यह मक्खियां पौधों को बढ़ने से रोकती है। जैसे ही पौधे बड़े होने लगते हैं उन्हें काट देती है। जिसके कारण पौधे सूख जाते हैं। इससे बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से फॉरेट या 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मेलाथियान खेत में डालना चाहिए।

सफेद लट

इस तरह के कीड़े पौधों की जड़ों को काटकर फसल को बर्बाद कर देते हैं। इससे बचाव के लिए फ्युराडॉन 3% या फोरेट 10प्रतिशत की बुआई के समय मिट्टी में डालना चाहिए।

रोग प्रबंधन
मृदु रोमिल

Bajra Ki Kheti बाजरे के पौधों को कई तरह के रोग हो जाते हैं जैसे कि मृदु रोमिल आशिता इनसे बचाव के लिए हमेशा प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें।

बुआई से पहले रिडोमिल एम जेड 72 या थाईम से 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजोंपचार करके बुआई करें।

जो भी पौधा रोग ग्रस्त हो चुका है उसे जल्द से जल्द खेत से उखाड़ कर जला दें।

फसल चक्र अपनाकर भी मृदु रोमन आशिता रोग से इस फसल को बचाया जा सकता है और इस रोग को खत्म किया जा सकता है।

खड़ी फसल में 0.2 प्रतिशत की दर से डाईथेन जेड 78 या 0.35प्रतिशत की दर से कॉपर oxychloride का पर्णिय छिड़काव करे। आवश्यकता पड़े तो 10 से 15 दिन बाद फिर से छिड़काव कर ले।

अर्गट

Bajra Ki Kheti इस रोग से बचाव के लिए फसल की बुआई सही समय पर करें।

प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें। जो पौधे खराब हो चुके हैं उनको हटा दें।

इस बीमारी से बचाव के लिए बीजों को 10 प्रतिशत नमक के घोल में डालकर अलग कर देना चाहिए। उसके बाद बीजों को धोकर साफ करें तथा सुखाकर बुवाई करें।

बीजों को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बाविस्टीन द्वारा उपचारित करके बोएं।

खड़ी फसल में रोग की रोकथाम के लिए बाविस्टिन 0.1 प्रतिशत या जिराम 0.1 प्रतिशत का 2 से 3 बार छिड़काव करें।

Bajra Ki Kheti अधिक उत्पादन के लिए अपनाएं फसल चक्र
अच्छी पैदावार तभी हो सकता है हैं खेती सही तरीके से सही तत्वों का इस्तेमाल करें। खेती की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए और अच्छी पैदावार के लिए बाजरे के लिए निम्न एकवर्षीय फसल चक्रों को अपनाना चाहिए। जैसे-

बाजरा – गेहूं या जौ

बाजरा – सरसों या तारामीरा

बाजरा – चना, मटर या मसूर

बाजरे की खेती (Millett farming) में लागत और कमाई
बाजरे की खेती (bajara ki kheti) के लिए ज़्यादा पैसे लगाने कई जरूरत नहीं होती। इसकी खेती बहुत सस्ते में हो जाती है। चूंकि ये बहुत महंगा मिलता है। तो जाहिर है, किसान इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

Resource : https://bit.ly/3jPEn8g

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