अंकुरित अन्न
खस-खस अंकुरित अन्न में जीवनी शक्ति बढ़ाने पर्याप्त तत्व होते हैं, क्योंकि इसे पूर्व पचित (प्रीडाइजेस्टेड) आहार माना जाता है। इसमें कैल्शियम, पोटेशिय मैगनीशियम आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसे खनिज एवं विटामिन्स का भण्डार माना जाता है | कैंसर रोगियों के लिये शीघ्र शक्तिवर्धक के रूप में इसका उपयोग कि जाता है। अंकुरित अन्न के रूप में मूँग, मोठ, गेहूँ, ज्वार, अल्फा-अल्फा मेथीला एवं सोयाबीन, उच्च रक्तचाप के उपचार, कैंसर रोगी के लिये विशेष लाभदायक सिद्ध होते हैं।
अंकुरित अन्न धीरे-धीरे खूब चबाकर खाने चाहिये व इसके साथ खज अंजीर, मुनक्का एवं शहद लेने से भी लाभ मिलता है। अंकुरित अन्न को सला पालक, पोदीना, प्याज, लहसुन एवं हरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाने से भी शरीर की जीवनी शक्ति का विकास होता है तथा यह शरीर की कोशिकाओं के संरक्षण में उपयोगी है। अंकुरित अन्न तथा हरी साग-सब्जियों में प्राकृतिक लवण, विटामिन, प्रोटीन आदि अनिवार्य तत्वों को शरीर स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर लेता है जिससे कैंसर की संभावनाओं से बचने में आसानी होती है खस-खस ।
प्राकृतिक चिकित्सा में 20 प्रतिशत अम्लीय तथा 80 प्रतिशत क्षारीय आहार लेने की सलाह दी जाती है। अंकुरित आहार क्षारीय होने के कारण यह जीवन में एक नई ऊर्जा पैदा करता है। इनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, राइबोफ्लेविन, नाइसीन फॉस्फोरस की मात्रा होती है। अपोषक तत्व ओलिगोसैकराइड की मात्रा अंकु बाद कम हो जाती है तथा विशेष रूप से खाद्य पदार्थ में ग्लूकोज आदि की बढ़ जाती है।
पित्ती उछलना
कारण
पाचन-क्रिया में गड़बड़ी, किसी विपैले कीड़े के काटने, सर्दी-गर्मी के प्रभाव, गरम पदार्धों का अधिक सेवन करने से कब्ज़ दूर करने के उपाय आदि कारणों से रोग हो जाता है ।
लक्षण
शरीर पर जगह-जगह लाल तथा गोल चकते हो जाते है, इनमे खुजली व जलन होती है, जिस वजह से रह-रह कर बेचैनी होती है | कभी-कभी उल्टी होने लगती है तथा बुखार भी जा जाना इस रोग के लक्षण हैं।
उपचार
– सरसों के तेल में नीम का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करनी चाहिए |
– कच्ची फिटकरी पीसकर, पान के पत्तों पर रखकर पित्ती स्थान पर मलें, रोग में तुरंत लाभ होगा |
– कच्ची फिटकरी पानी में घोलकर इसे पानी में साफ कपड़ा भिगोकर अच्छी तरह पोंछे । इसके बाद नीम के तेल में थोड़ी-सी कपूर तथा एक ग्राम फिटकरी मिलाकर रोगग्रस्त भाग पर धीरे-धीरे लगाए |नीम की पत्तियों से पानी तैयार करके पीना चाहिएं|
खस-खस (पोस्त के दाने)
गर्मी में होने वाले चर्मरोग-गर्मी में बच्चों के प्राय: फोड़े-फुंसियाँ निकलती रहती हैं। खस का शर्बत नियमित पीते रहने से गर्मी के मौसम में होने वाले चर्म रोग ठीक हो जाते हैं तथा गर्मी के कारण होने वाले चर्म-रोग नहीं होते। खस-खस संक्रामक चर्म रोग भी नियमित खस का शर्बत पीने से ठीक हो जाते हैं।
कमर दर्द- समान मात्रा में खस-खस और मिश्री पीसकर दो-दो चम्मच सुबह- शाम नित्य फाँक कर गर्म दूध पियें। इससे कमर दर्द में लाभ होगा। क्षा दर्द से छुटकारा पाने के लिए आपको बरा अपनी सोच को बदलना पड़ेगा। दर्द का गले सबसे ज्यादा प्रभाव स्नायु-मण्डल (नर्वस सिस्टम) पर पड़ता है। दर्द सुरक्षा की विधि एट है, जो हमें आगे के खतरों से आगाह करता है। दर्द को कुछ हद तक कम करने में सोच बहुत सहायता करती है। नित्य बीस मिनट का ध्यान करें। कमर दर्द की चिकित्सा में व्यायाम, फिजियोथैरेपी सर्वोत्तम है खस-खस ।
मर्दाना शक्तिवर्धक – खस-खस 8 चम्मच, भुने चने 6 चम्मच, बूरा या पिसी मिश्री दस चम्मच कूट पीस कर मिलाकर इसमें से सात चम्मच पाउडर लेकर 2 पंखुड़ी केसर मिलाकर खायें और दूध पियें। ताकत और वीर्य वृद्धि होगी।
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