Wednesday, January 15, 2025

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भारत में जीरा कहां उगाया जाता है? यहां जानें | Jira Ki Kheti In Hindi

Jira Ki kheti: छौंक लगाना हो या सब्‍जी का स्‍वाद बढ़ाना हो, तो जीरा (cumin) हर जगह काम आता है। मशालों में जीरे की मांग सबसे अधिक ही होती है। जीरा(cumin) में कई औषधीय गुण भी होते हैं। जीरा पेट की कई समस्याओं के लिए रामबाण औषधि से कम नहीं है। जीरा में आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक और , मैगनीशियम जैसे कई मिनरल्स भी पाए जाते है। इतना ही नहीं, जीरा की खेती से किसानों को लाभ भी अधिक होता है। जीरे की खेती में (Jira Ki kheti) से किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं।

तो आइए, ताजा खबर ऑनलाइन ’ के इस ब्लॉग में जानें- जीरे की खेती कैसे करते है ? (Jira Ki kheti in Hindi)

  • यहां से आप जानेंगे
  • जीरे के लिए ज़रूरी जलवायु है
  • जीरा की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी अवश्यक है
  • जीरा कितने प्रकार के होते हैं
  • खेत की तैयारी कैसे करें?
  • जीरे की उन्नत किस्में है
  • जीरा की फसल में लगने वाले कीट और रोग
  • सिंचाई और उर्वरक के प्रबंधन
  • कटाई और पैदावार
  • जीरा की खेती में लागत और कमाई
  • जीरा की खेती कहाँ होती है

तो आइए सबसे पहले पहले जीरा की फसल (Jira Ki phrasal) के लिए आवश्यक जलवायु के बारे में हम जान लेते हैं। के लिए आवश्यक जलवायु चाहिए :जीरा ठंडी जलवायु का फसल है। इसकी खेती रबी की मौसम में ही की जाती है। इसके लिए अधिकतम तापमान 30 सेंटीग्रेड और न्यूनतम 10 डिग्रीसेंटीग्रेड से कम ही नहीं होनी चाहिए।

हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जीरे का उत्पादन राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में तो सबसे अधिक की जाती है

जीरा की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी जरूरी है

जीरे के लिए रेतीली चिकनी बलुई और दोमट मिट्टी ही सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा उपजाऊ काली और पीली मिट्टी में भी जीरा की खेती भी (jira ki kheti) खूब होती है। यदि खेत में जलवायु की स्थिति हो तो वहां जीरे की फसल ही ना लगाएं। इसके लिए पूर्णतः समतल जमीन का होना अतिआवश्यक है।

Jira Ki Kheti खेती की तैयारी और समय

जैसा कि हमने आपको उपर ही बताया है की जीरा ठंडी जलवायु की फसल है। इसकी खेती ठंड के दिनों में ही की जाती है। जीरे की बुआई अक्टूबर-नवंबर के महीने में अधिक होती है। जबकि फरवरी-मार्च तक यह पककर तैयार हो जाती है।

जीरे की बुआई से पहले ही यह जरूरी है कि खेत को अच्छी तरह से जोतकर उसे समतल और अच्छी तरह भुरभुरी बना लें। जिस खेत में जीरे की बुआई करनी है, उस खेत से खर -पतवार निकाल कर उसे ac साफ कर लें। खेत में गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट को डालकर खेत की एक जुताई हैरो से करें। उसके बाद उसके बाद उस खेत को रोटावेटर से जुताई कर खेत को समतल बना दें।

जीरे की उन्नत किस्में और उसकी विशेषताएं

आर जेड-19
जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससका उत्पादन 9-11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का होता है। इस किस्म में उखटा, छाछिया और झुलसा रोग कम ही लगता है।

आर जेड- 209
यह भी किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। तो इसके दाने मोटे होते हैं। इस किस्म से 7-8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है।

जी सी- 4
जीरे की यह किस्म 105-110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीज तो बड़े आकार के होते हैं। इससे 7-9 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

आर जेड- 223
यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन प्रतिहेक्टेयर 6-8 क्विंटल होता है। इसमें बीज में तेल की मात्रा 3.25 प्रतिशत होती है।

सीजेडसी 94
इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 100 दिनों के अंदर ही तैयार हो जाती है। जल्दी तैयार होने के कारण इसमें रोग और कीट भी कम लगते हैं। इस किस्म में 40 दिनों के अंदर ही फूल आ जाते हैं। इसका उत्पादन प्रतिहेक्टेयर 7-8 क्विंटल का होता है।

बीज की मात्रा और बीजोपचार
जीरे की एक हेक्टेयर फसल के लिए लगभग 4-5 किलो बीज की जरूरत ही होती है। जीरे की बुआई के पहले बीज को कार्बेन्डिजम 50 % डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति किलो या कार्बोक्सिन 37.5% + थरम 37.5% डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर ही उपचारित करें।

जीरा की फसल में लगने वाले कीट और रोग
Jira Ki kheti जीरे की फसल में लगने वालें रोगों में चूर्णिल में आसित(छाछया), उकठा, और झुलसा रोग तो प्रमुख हैं। इन रोगों के इलाज के लिए सबसे पहले आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या विषय विशेषज्ञों से संपर्क ही करके दवा का प्रयोग करें।

सिंचाई और उर्वरक के प्रबंधन

जीरा की फसल में बुआई के तुरंत बाद ही हल्की सिंचाई करें। इसके बाद 6-7 दिन बाद सिंचाई करें। फिर इसके बाद खेत के नमी के अनुसार सिंचाई करें। जीरे की फसल में फौव्वारा विधि से सिंचाई करने पर अधिक लाभ मिलता है।

जीरे की फसल में खेत तैयारी से पहले ही 1 एकड़ खेत में 5-6 टन गोबर की खाद अच्छी तरह से मिला दें। तो फसल में पहली सिंचाई के बाद 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते है

फसल की कटाई और मार्केटिंग

जीरे के फसल जब पककर सूख जाए तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। यहा ध्यान रहे कि जीरे के बीज को खेत में झड़ने से पहले ही कटाई कर लें। फिर खलिहान में इसे अच्छी तरह से सुखाकर थ्रेसिंग कर लें।

Jira Ki kheti इसलिए जीरा की बाजार में कभी कमी नहीं होती है। जीरा बाजार भाव स्थानीय बाजार से अधिक ही राष्ट्रीय बाजार में मिलता है। इसके लिए आप दूसरे राज्यों के मंडी में ई-नाम के जरिए भी बेच सकते हैं। यदि किसान जीरे की पैकिंग ही खुद करके बेचते हैं तो उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है।

यदि बात करें उपज की तो जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की होती है। जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का खर्च में आता है। अगर जीरे की कीमत 200 रुपए प्रति किलो भाव मान कर चलते है तो 1-1.5 लाख रुपए प्रति हेक्टयर का शुद्ध लाभ ही मिलता है।

Jira Ki kheti ये तो थी, जीरा की खेती (Jira Ki kheti in Hindi) की बात है । लेकिन, आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स ही मिलेंगे, जिनको पढ़कर आप अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

Resource :https://bit.ly/3ZWE2kI