Lemon Grass Farming Hindi: इन दिनों लेमन ग्रास की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। लेमन ग्रास को नींबू घास, चायना ग्रास और मालाबार घास आदि कई नामों से जाना जाता है। इसकी पत्तियों से नींबू की तरह सुगंध आती है। कई औषधीय गुणों से भरपूर लेमन ग्रास की पत्तियों का उपयोग चाय बनाने में भी किया जाता है। आपको बता दें, लेमन ग्रास के पौधे से सिट्रल (citral) नामक तेल प्राप्त किया जाता है। इससे औषधियों के निर्माण के साथ इत्र, साबुन और कई तरह के सौंदर्य प्रसाधन तैयार किए जाते हैं।
Lemon Grass Farming आपको बता दें, भारत सरकार एरोमा मिशन (aroma mission) के तहत नींबू घास की खेती (lemon grass farming) को बढ़ावा दे रही है। कम लागत के लिए आप इस मिशन का लाभ ले सकते हैं। पौधों की तेजी से वृद्धि होने के कारण एवं अधिक मूल्य पर बिक्री होने के कारण लेमन ग्रास की खेती (lemon grass farming) किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। नींबू घास की खास बात है कि इसे सूखाग्रस्त इलाकों में भी लगाया जा सकता है।
तो आइए, ताजा खबर ऑनलाइन के इस लेख में जानें- लेमन ग्रास (नींबू घास) की खेती कैसे करें?
लेमन ग्रास की खेती (nimbu ghas ki kheti) पर एक नज़र
- Lemon Grass Farming लेमन ग्रास के पत्ते लंबे और हरे रंग के होते हैं।
- हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 1000 मेट्रिक टन लेमन ग्रास का उत्पादन होता है।
- लेमन ग्रास में विटामिन और मिनरल होने के कारण यह इम्यून सिस्टम को भी बढ़ाता है।
- एक एकड़ की खेती से लेमनग्रास के पौधे से तकरीबन 5 टन तक पत्तियां निकलती हैं।
- इसकी पत्तियों से नींबू जैसे सुगंध आती है इसलिए इसका नाम लेमन ग्रास (नींबू घास) रखा गया है।
एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग 5-6 साल तक इससे उत्पादन ले सकते हैं।
लेमन ग्रास की उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
Lemon Grass Farming लेमन ग्रास(नींबू घास) की खेती लगभग सभी तरह की उपजाऊ मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। परन्तु पौधों के विकास के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती कर के बेहतर पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।
नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) के लिए उष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधों को धूप की आवश्यकता अधिक होती है। इससे पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है। लेमन ग्रास के पौधे न्यूनतम 15 डिग्री सेंटीग्रेड एवं अधिकतम 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहन कर सकते हैं।
लेमन ग्रास की खेती का सही तरीका
नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) बीज के साथ पौधों के कलम की रोपाई के द्वारा भी की जा सकती है। बीज के द्वारा खेती करने के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार Lemon Grass Farming करनी होती है। नर्सरी तैयार करने में 2 से 3 महीने का समय लगता है। नर्सरी में तैयार किए गए पौधों में कम से कम 10 पत्ते होने के बाद पौधों की रोपाई की जा सकती है। यदि पौधों के कलम से रोपाई करनी है तो कलम की रोपाई सीधा मुख्य खेत में कर सकते हैं।
नींबू घास की खेती का उन्नत तरीका
Lemon Grass Farming लेमन ग्रास की खेती (nimbu ghas ki kheti) के लिए फरवरी से जुलाई तक का समय उपयुक्त है। लेमन ग्रास की खेती बीज और कलम की रोपाई के द्वारा की जाती है। इसके अलावा स्लिप विधि से भी इसकी खेती की जाती है। इस विधि में पुराने पौधों की जड़ों की रोपाई कर के पौधे तैयार किए जाते हैं।
लेमन ग्रास की खेती का सही तरीका
Lemon Grass Farming नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) बीज के साथ पौधों के कलम की रोपाई के द्वारा भी की जा सकती है। बीज के द्वारा खेती करने के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी होती है। नर्सरी तैयार करने में 2 से 3 महीने का समय लगता है। नर्सरी में तैयार किए गए पौधों में कम से कम 10 पत्ते होने के बाद पौधों की रोपाई की जा सकती है। यदि पौधों के कलम से रोपाई करनी है तो कलम की रोपाई सीधा मुख्य खेत में कर सकते हैं। Lemon Grass Farming/
खेत की तैयारी
- सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जायेंगे।
- इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।
- पौधों एवं कलम की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।
- सभी कार्यों के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
- लेमनग्रास के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
- नर्सरी में तैयार किए गए पौधे या कलम की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
- वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
- गर्मी के दिनों में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- ठंड के मौसम में 12 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
- खरपतवार पर नियंत्रण के लिए प्रतिवर्ष 2 से 3 बार निराई गुड़ाई करें।
फसल की कटाई
- एक बार लेमन ग्रास (नींबू घास) की खेती करके करीब 5-7 वर्षों तक फसल प्राप्त किया जा सकता है।
- पौधों की रोपाई के 90 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- प्रत्येक वर्ष 4 से 5 बार फसल की कटाई की जा सकती है।
- पौधों की कटाई भूमि की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई से करें।
नींबू घास की प्रमुख किस्में
Lemon Grass Farming भारत में लेमन ग्रास (नींबू घास) की कई किस्मों की खेती की जाती हैं। जिनमें प्रगती, प्रामण, ओडी 19, ओडी 408, एसडी 68, आरआरएल 16, आरआरएल 39, सीकेपी 25, कृष्णा, कावेरी शामिल हैं।
ये तो थी, नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।
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