Thursday, November 7, 2024

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दूधिया मशरूम (Milky Mushroom) की खेती

भारत में बटन मशरूम की खेती के बाद सबसे ज्यादा दूधिया मशरूम की खेती को (milky mushroom ki kheti) की जाती है। दूधिया मशरूम (milky mushroom) का वैज्ञानिक नाम से कैलोसाईबीइंडिका है। दूधिया मशरूम को बोलचाल की भाषा में मिल्की मशरूम (milky mushroom) भी कहा जाता है। दूधिया मशरूम का आकार व रूप बटन भी मशरूम से मिलता-जुलता है। बटन मशरूम की अपेक्षा दूधिया मशरूम का तना अधिक मांसल, लम्बा तथा आधार पर काफी मोटा में होता है।

दूधिया मशरूम में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और खनिज भी होता है। यही कारण है कि आजकल दूधिया मशरूम की खेती की तरफ लोगों को रुझान काफी तेजी से बढ़ भी रहा है। कम जगह और कम लागत में भी किसान दूधिया (मिल्की) मशरूम से लागत से कई गुना अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं।

तो आइए, आज हम लोग ताजा खबर https://hindi.ethonce.com/ऑनलाइन के इस लेख में जानें- दूधिया मशरूम की खेती कैसे करें? (milky mushroom ki kheti kaise kare)

इस ब्लॉग में आप जानेंगे-की

मिल्की मशरूम के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान के Milky Mushroom

बीजाई की विधि

केसिंग मिश्रण बनाना और केसिंग परत में बिछाना

इसमें लगने वाले कीड़े और रोग

मिल्की मशरूम का विपणन में

तुड़ाई, पैदावार और आमदनी

मिल्की मशरूम के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान में (Suitable Climate and Temperature for Milky Mushroom)

दूधिया मशरूम की खेती (milky mushroom ki kheti) के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता ही होती है। अच्छी पैदावार के लिए 80 से 90 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। केसिंग परत बिछाने से लेकर फसल लेने तक का तापमान 30 से 35 डिग्री सैल्शियस और नमी 80 से 90 प्रतिशत होनी चाहिए। अधिकतम तापमान 38 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड होने पर भी दूधिया मशरूम अच्छी पैदावार होती है।

बीजाई की विधि के (sowing method)

मिल्की मशरूम की बीजाई की विधि छिटकवां भी हो सकती है या फिर सतह में भी बीजाई की जा सकती है। सतह में बीजाई करने के लिए पहले पॉलीथीन के बैग 15 से 16 इंच चौड़ा और 20 से 21 इंच ऊंचा में एक परत भूसे की बिछाएं, फिर उसके ऊपर बीज बिखेर दें। उसके ऊपर फिर भूसे की परत और बीज डालें, दो परतों के बीच का अंतर में लगभग 3 से 4 इंच होना चाहिए। ऐसे आप सतह से बिजाई कर सकते हैं।

milky mushroom images
Milky Mushroom images Resource: Google

केसिंग मिश्रण बनाना और केसिंग परत बिछाना में (Making the Casing Mix and Laying the Casing Layer)
बीजाई किए गए बैगों में 15 से 20 दिन में बीज भूसे में फैल जाता है। जिससे भूसे पर सफेद फफूंद दिखाई भी देते है। ऐसी अवस्था केसिंग परत चढ़ाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है। केसिंग मिश्रण, केसिंग करने के एक सप्ताह पहले ही तैयार किया जाता हैं।

आपको बता दें, केसिंग की मिश्रण तैयार करने के लिए 3/4 भाग दोमट मिट्टी व 1/4 भाग बालू मिट्टी की जरूरत ही होती है। अब इस मिश्रण के वजन का 10 प्रतिशत चाक पाउडर मिलायें और मिश्रण को 4 प्रतिशत फार्मेलीन 100 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी व 0.1 प्रतिशत बॉविस्टीन के घोल में 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से गीलाकर ऊपर से पॉलीथीन से 7 से 9 दिन के लिए ढक दें।

https://tajakhabaronline.com/organic-farming/

केसिंग करने से 24 घंटे पहले केसिंग मिश्रण से पॉलीथीन हटाकर मिश्रण को उलट-पलट दें, ताकि फार्मेलीन की गंध से निकल जाये। इस प्रकार तैयार केसिंग मिश्रण की 2 से 3 सेंटीमीटर मोटी परत में बीज फैले हुए बैग के मुंह को खोलकर फैला दें। इस दौरान तापमान 30 से 35 डिग्री सैल्शियस और नमी 80 से 90 प्रतिशत में बनाये रखें।

मिल्की मशरूम में लगने वाले कीड़े और रोग (Insects and Diseases of Milky Mushrooms) खरपतवार फफूंद के

दूधिया मशरूम के उत्पादन कक्ष में नमी व तापमान कीड़ों और रोगों के पनपने के लिए अनुकूल मात्रा होता हैं। इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए।

दूधिया मशरूम पर लगने वाले कीट

इसमें डिप्टेरियन और फोरोइड नामक मक्खी का प्रकोप से अधिक होता है। इसलिए बीजाई से लेकर तुड़ाई तक की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिये। समय-समय पर उत्पादन कक्ष में डीडीवीपी 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें। उत्पादन कक्ष के आस पास पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए। उत्पादन कक्ष में पीले रंग के कागज को लाइट ट्रेप तेल में भिगोकर लटका दें ताकि कीड़े उस पर न चिपक जायेगें। इन्हें ट्यूब लाइट या बल्ब के नीचे ही लगा दे

स्पॉनिंग के समय लगने वाले रोग में

मिल्की मशरूम के कवक जाल फैलने की अवस्था पर खरपतवार वाली फफूंद जैसे- ही ट्राईकोडर्मा, एस्परजिलस, राइजोपस, म्यूकर, स्केलेरोशियम रोल्फसाइ और क्रोपाइन्स में लगती है। इससे बचाव के लिए समय-समय पर ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव करते रहना चाहिए।

दूधिया मशरूम की बिक्री कहां से करें (where to sell milky mushrooms)
सब्जी मंडी यदि आपके उत्पादन स्थल के पास है, तो मशरुम की तुड़ाई सुबह करके उसे सीधा सब्जी मण्डी में भी बेच सकते हैं। सब्जी मण्डी उत्पादन स्थल से दूर है, तो तुड़ाई शाम को देर से करके भी सुबह तक उसे बाजार में भेज सकते हैं|

दुधिया मशरूम की तुड़ाई, पैदावार और आमदनी कितनी होनी चाहिए (Milky mushroom harvest, yield and income)तुड़ाई

दूधिया मशरूम की टोपी जब हम 5 से 6 सेंटीमीटर मोटी हो जाये तो इसे परिपक्व समझना चाहिए और अंगूठे व ऊँगली की सहायता से घुमाकर तोड़ लेना चाहिए। तने के निचले भाग को, जिसमें मिट्टी लगी ही होती है काट दें। मशरूम को पॉलिथीन बैग में 4-5 जगह छेद करके पैक कर सकते हैं।

पैदावार

दूधिया मशरूम भी ढींगरी मशरूम की तरह काफी अच्छी पैदावार देती है। लगभग 1 किलोग्राम सूखे भूसे या पुआल में से 1 किलो ताजा मशरूम निकलता है।

आमदनी

दूधिया मशरूम की उत्पादन लागत अच्छी पैदावार होने पर ही करीब रूपये 10 से 15 प्रति किलोग्राम पड़ती है। बाजार में यह 150 से 250 रूपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिकती है। ऐसे में किसान मिल्की मशरूम की खेती से अच्छी आमदनी ले सकते हो

ये तो थी दूधिया मशरूम की खेती कैसे करें? (milky mushroom ki kheti kaise kare) इसकी पूरी जानकारी ले । यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी भी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर भी करें।

Resource : https://bit.ly/3QP3X9W

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