Nutmeg Farming in Hindi: जायफल को आम भाषा में जावित्री के नाम से भी जाना जाता है। जायफल का उपयोग मशालों के साथ-साथ दवाओं के रुप में भी किया जाता है। इससे तेल भी निकाला जाता है। इसके पेड़ की उंचाई लगभग 15 से 20 फीट होती है। जायफल की खेती (jaiphal ki kheti) से किसानों को लंबे समय तक उत्पादन और मुनाफा प्राप्त होता है।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में जानें- जायफल की खेती कैसे करें?
जलवायु और मिट्टी
जायफल की खेती (jaiphal ki kheti) के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है। यही कारण है कि भारत में इसकी खेती दक्षिण भारत में खूब होती है। मिट्टी की बात करें तो जायफल की खेती के लिए दोमट, काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएचमान 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
जायफल बुआई का समय
Nutmeg Farming पौधों की रोपाई जून मध्य से अगस्त की शुरूआत तक की जाती है।
फसल अवधि
Nutmeg Farming फसल रोपाई के करीब 6 से 7 साल बाद उत्पादन देती है।
जायफल की खेती कहाँ होती है?
जायफल की उत्पत्ति इण्डोनेशिया की मानी जाती है। लेकिन आज इसका उत्पादन भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में किया जाता है। भारत में जायफल की खेती (Nutmeg Farming)मुख्य रूप से केरल और तमिलनाडु में होती है।
खेत की तैयारी
- खेत में अच्छी तरह से खाद आदि डाल कर जुताई कर लें।
- खेत में रोपाई से 15 दिन पहले करीब 75 x 75 x 75 सेमी के गड्ढे बना लें।
- इन गड्ढ़ों के बीच करीब 20 फीट की दूरी होनी चाहिए।
जायफल के पौधों का बुआई कैसे करें?
- पहले से तैयार पौधों की रोपाई खेत में की जाती है।
- पौधों से पौधों की दूरी करीब 20 फीट रखें।
- कतार से कतार की दूरी 18 से 20 फीट की रखें।
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सिंचाई
- गर्मियों में 15 से 20 दिन के भीतर सिंचाई करें।
- वहीं सर्दियों में 25 से 30 दिन में सिंचाई करें।
जायफल का उत्पादन और लाभ
आपको बता दें, जायफल की खेती से प्रति पौधा एक साल में 500 किलो फल प्राप्त होता है। वहीं हर साल इससे प्रति हेक्टेयर 2 लाख तक की कमाई की जा सकती है। बाजार में जायफल 1000 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिकता है।
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