organic farming in hindi: जनसंख्या में विस्फोट आज भी पूरे विश्व में सबसे प्रमुख समस्या होती है। जनसंख्या को बढ़ना भोजन के आपूर्ति पर बाधा भी डालती है। मानव की पूर्ति के लिए भोजन भी तरह तरह के उपाय भी करता है, और एक ऐसी होड़ पैदा होती है जिसमें अधिक उत्पादन के चक्कर में इंसान रसायनिक और खतरनाक अजैविक पदार्थो का उपयोग भी करने लगता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।
organic farming प्रकृति के चक्र को प्रभावित करने से एक असंतुलन स्थिति भी पैदा होती है और भूमि के उर्वरा शक्ति खराब होने के साथ साथ विभिन्न समस्याएं उत्पन्न भी होती है। रसायन भी हमारी उत्पादन क्षमता तो बढ़ा देते है लेकिन उसके बाद उनमें पहले जैसी गुणवत्ता नहीं रहती जैसी की पहले के जैविक खेती द्वारा उत्पादित पदार्थों में होती थी।
जैविक खेती हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाया गया एक प्राकृतिक खेती (natural farming) का तरीका था जिसके अनुसार खेती करने से पदार्थो कि गुणवत्ता बरकरार रहती थी और हमारे खेती के तत्व जैसे- जल, भूमि, वायु और वातावरण में कोई प्रदूषण भी नहीं फैलता था और जैविक और अजैविक खेती पदार्थों के बीच आदान प्रदान का चक्र निरंतर अपनी गति से होता है ।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में बहुत से ऐसे उदाहरण भी मिल जाएंगे जिसमें खेती के लिए आवश्यक सभी अवयवों का उल्लेख भी मिलता है जो बिना हानि को किसी को लाभ देते थे। गोपालन खेती का एक प्रमुख हिस्सा भी होता था जिससे कृषि और अधिक समृद्ध बन जाती थी, गाय का दूध तो अपनी जगह गुणों की खान होती है तो उसका गोबर खेतों में उर्वरा में शक्ति को बढ़ाता है।
organic farming लेकिन अब इनका चलन बहुत कम हो गया है और इनके स्थान पर किसान अधिक उत्पादन के लिए जहरीले और खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल भी करने लगे है। आज जरूरत है किसानों को अपने वही पुराने जैविक खेती की जिसके व्यवस्थित और सम्पूर्ण ज्ञान से किसान भाई अपनी किसानी से बहुत मुनाफा भी कमा सकते है और जिससे प्रकृति और फसलों में कोई नुकसान भी नहीं होगी। इस ब्लॉग में हम इसी जैविक खेती (organic farming in hindi) के बारे में जानेंगे और इसकी महत्ता को समझेंगे।
कृषि एवं जैविक खेती (agriculture and organic farming)
कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग संभालती है, कृषि लगभग हर प्रदेश में अलग अलग तरीकों से कि जाती है, कहीं मुख्य रूप से चावल की खेती होती है तो कहीं गेंहू की भरमार है, तो कहीं विशेषतया फलों कि खेती भी होती है, लेकिन अब कृषि में जैविक खेती का प्रयोग कम ही होता है या यूं कहें कि ना के बराबर क्यूंकि अब हर जगह के किसानों में एक होड़ सी है अच्छी से अच्छी और तेजी से फसल उगाने की जिसके कारण उत्पादों कि गुणवत्ता में कमी आ रही है और वातावरण को नुकसान भी पहुंच रहा है।
organic farming कृषि की वह विधि जिसमें उर्वरक और कीटनाशकों के कम से कम प्रयोग और भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खाद के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए जैविक की खेती (organic farming) कहलाती है। इसके प्रयोग से किसानों को दीर्घकालीन और उन्नत में फसलों की प्राप्ति होती है और ये खरपतवारनाशक आदि का प्रयोग न करके जीवांशयुक्त खादों के प्रयोग से प्रदूषण पर नियंत्रण भी करता है।
उत्पादन बढ़ाने की होड़ रसायन के और जहरीले खादों के प्रयोग को बढ़ावा देता है जिससे भूमि की उर्वरता खत्म होने लगती है और प्रदूषण बढ़ जाता है। मानव स्वास्थ्य के अनुरूप खेती करना आज के समय में एक चुनौती बन गई है जिससे अनजान इंसान केमिकल युक्त भोजन करने को मजबूर है।
जैविक खेती के सिद्धांत (principles of organic farming)
हर क्षेत्र में कोई ना कोई सिद्धांत होता है ठीक उसी प्रकार जैविक खेती के भी अपने कुछ सिद्धांत है जिसका पालन करके वह हमे भूमि से अमृत रूपी फसलों का उत्पादन करने में मदद करती है। भोजन अमृत ही तो है जिसके लिए सारी दुनिया में लोग अपने अपने तरीके से प्रयासरत है।
जैविक खेती (organic farming) का पहला सिद्धांत है कि प्रकृति हमारी धरोहर है जिसे संभाल के रखने कि जरूरत है और जिसका दोहन होने से बचाना है। आज इंसान लगातार प्रकृति का दोहन कर रहा है जिससे कि हमारे भविष्य पर संकट मंडरा रहा है, उसी संकट को देखते हुए किसानों को जैविक खेती का ज्ञान होना जरूरी है।
organic farming जैविक खेती का दूसरा सिद्धांत है , सभी जीव के लिए मृदा (मिट्टी) ही स्रोत है, यानी हर जीव के अस्तित्व के लिए मृदा बहुत जरूरी है इसलिए इसकी गुणवत्ता बनाए रखना जरूरी है। मृदा का पोषण जरूरी है पौधे का नहीं क्यूंकि पौधा मिट्टी से हीं पोषण लेगा। जैविक खेती आपको ऊर्जा प्राप्ति के लिए लगने वाली लागत में पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है, और पारिस्थितिकी तंत्र का फिर से उद्धार करता है।
जैविक खेती के फायदे (benefits of organic farming)
जैविक खेती वैसे तो बहुत लाभकारी है लेकिन फिर भी कुछ विशेष बातें जो जानना जरूरी है कि जैविक खेती क्यों किसानों विशेष तौर से भारतीय किसानों के लिए उपयोगी और फायदेमंद है। हरित क्रांति के बाद से भारत में उर्वरकों का बहुतायत मात्रा में उपयोग होने लगा और किसान अधिक पैदावार के होड़ में कीटनाशकों , रसायनों आदि का भरपूर प्रयोग करने लगे जिससे फायदे तो हुए लेकिन साथ में नुकसान भी हुए।
organic farming मिट्टी के उपजाऊपन के लिए उसमे मौजूद पोषक तत्व बहुत जरूरी है, मिट्टी में करीब 17 पोषक तत्व होते है जिससे की वो फसल को अच्छा बनाने में मदद करते है लेकिन हरित क्रांति के बाद आए उर्वरकों की बाढ से इन पौष्टिक तत्वों में बहुत कमी आ गई और फसलों में केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की मात्रा पर ही ध्यान दिया गया। भारत विविधताओं का देश है जहां तरह तरह के मौसम पाए जाते है जिससे फसलों की पैदावार में असर पड़ता है, किसानों को चाहिए कि जैविक खेती के लिए सर्वप्रथम मिश्रित खेती की जानकारी रखे जिससे की कम से कम घाटे के साथ अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
देश में पर्यावरण की समस्या एक जटिल समस्या है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है, जैविक खेती इसका एक समाधान हो सकती है क्यूंकि यह पर्यावरण हितैषी है।
भारतीय किसान जैविक खेती अपनाकर अपने साथ दूसरे किसानों को भी रोजगार दे सकते है, क्यूंकि यहां जमीन की कमी नहीं है और अगर उसी का इस्तेमाल किया जाए तो चारो और फसलों कि पैदावार होगी। अधिक पैदावार मतलब अधिक आमदनी अधिक आमदनी मतलब संपन्नता खुशहाली और एक बेहतर भविष्य।
जैविक खेती के लाभ (benefits of organic farming)
जैविक खेती के अनेक फायदे है जिनको यहां हम आपको बताने जा रहे हैं-
1- जैविक खेती से भूमि के उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है और जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता में भी बढ़ोत्तरी होती है।
2- रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है जिससे मृदा में पौष्टिक तत्वों का हनन नहीं होता और उनका पोषण बना रहता है।
3- फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है और अधिक मुनाफा होता है।
4- बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती है जिससे किसानों और थोक विक्रेताओं दोनों को लाभ होता है।
5- सिंचाई के प्रयोग में कमी आती है क्यूंकि जैविक खेती विधि से कम जल उपयोग से ही खेती होती है।
रासायनिक खेती और जैविक खेती में अंतर (difference between chemical farming and organic farming)
organic farming रासायनिक खेती और जैविक खेती में केवल कुछ चीजों का अंतर है, जैविक खेती में जीवाश्मों को और प्राकृतिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है जबकि रासायनिक खेती में इसके विपरित रसायन और रसायनिक खाद के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है। जैविक खेती के माध्यम से मृदा के पोषक तत्वों को बिना नुकसान पहुंचाए खेती की जाती है और मुनाफा भी कमाया जाता है, साथ ही फसलों में गुणवत्ता होती है।
इसके विपरित रासायनिक खेती में कीटनाशकों, उर्वरकों आदि का अत्यधिक प्रयोग होता है जिससे मृदा अपनी पोषकता खो देती है और उत्पादन में वो शक्ति नहीं रहती की शरीर को लाभ पहुंचाए। कुल मिलाकर रासायनिक खेती और जैविक खेती में केवल जीवाश्म और रासायनिक तत्वों का अंतर है।
जैविक खेती के लिए सरकारी योजनाएं (government schemes for organic farming)
organic farming जैविक खेती के विकास के लिए सरकार भी निरंतर प्रयासरत है और इसके लिए विभिन्न योजनाओं के द्वारा किसानों के भलाई का काम किया जा रहा है। परंपरागत कृषि विकास योजना एक ऐसी ही योजना है जिसके द्वारा सरकार आवेदन करने वाले किसानों को 50 हजार प्रति हैक्टेयर की राशि मुहैया करवा रही है जिसकी अवधि 3 साल है। अनुदान राशि के साथ साथ जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधि आदि भी बताई जाती है।
एक अन्य योजना पूंजी निवेश सब्सिडी योजना जिसके द्वारा सरकार किसानों को आर्थिक सहायता देने के साथ साथ कचरा प्रबंधन, जैविक अवशेषों के उर्वरकों और खादों में परिवर्तन की विधि का भी ज्ञान दिया जाता है। इन योजनाओं का किसानों पर काफी अनुकूल प्रभाव पड़ता है जिससे वे अपनी खेती की जरूरतों को पूरा करके भरपूर लाभ कमा सकते हैं।
जैविक खेती करने की विधि (organic farming method)
जैविक खेती (organic farming) की विधि सरल होने के साथ साथ रासायनिक खेती की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन करती है, साथ साथ मृदा की उर्वरता एवम् कृषि की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में पूर्णतः लाभकारी होती है। तो चलिए जानते है जैविक कृषि करने कि विधि जिससे कि इसके पूर्ण ज्ञान के साथ किसान अपने अपने कृषि में परिवर्तन ला सकें। जैविक खेती में जैविक खादों पाए जोर दिया जाता है जैसे कि हरी खाद का प्रयोग, गोबर खाद का प्रयोग, केचुआ खाद आदि के प्रयोग से बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए हम मनचाही फसल भी उगाते है।
इस खेती में पशुओं का अधिक महत्व होता है, जैविक प्रदूषण और कम पानी की आवश्यकता भी होती है, फसल अवशेषों को खपाने की समस्या नहीं होती है और कम लागत में स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक फसल की प्राप्ति होती है।
जैविक खेती कैसे करें (how to do organic farming)
जैविक खेती की अन्य सभी विधियां एक सामान्य खेती की तरह है, जैसे अन्य प्रकार की खेती के लिए भूमि, जल, खाद, कीटनाशक, मानव परिश्रम आदि की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार इसमें भी इनकी भी जरूरत होती है । बदलाव भी केवल कुछ चीजों में होता है।
सामान्य खेती में किसान रसायन को अधिक महत्वहोती है जबकि जैविक खेती में जीवाश्म रहित खाद का उपयोग भी किया जाता है, किसानों को जैविक खेती के लिए पहले मिश्रित खेती भी सीखनी चाहिए जिससे कि लागत कम हो और मुनाफा भी ज्यादा हो। खाद बनाते समय हमे विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे कि समय समय पर खाद को उलटने पलटने का काम करना चाहिए और लगभग एक महीने का समय देना चाहिए। किसान अपने खेत के आकार के हिसाब से खाद बना सकते है। खाद बनाने की कई विधियां है जिसमें नाडेप , बायोगैस, वर्मि कम्पोस्ट, हरी खाद , जैव उर्वरक, गोबर की खाद, पिट कम्पोस्ट आदि ।अधिकतर किसान गो मूत्र, नीम पत्ती घोल मट्ठा मिर्च लहसुन आदि के प्रयोग से खाद बनाते है।
हरी खाद बनाने की विधि (how to make green manure)
मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए जीवाणुओं की मात्रा एवम् क्रियाशील होना जरूरी है, इसके लिए एक बड़े गढ्ढे में जरूरत के हिसाब से सभी खाद्य अवशेषों को एक साथ मिलाया जाता है, और करीब एक महीने तक सड़ने के लिए छोड़ भी दिया जाता है ताकि उनके सभी वैक्टरिया आदि घुल मिल जाए और एक बढ़िया खाद तैयार हो।
भभूत अमृत पानी
इस खाद के लिए करीब 10 किलो गोबर 250 ग्राम नौनी घी 500 ग्राम शहद और 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है , सभी को एक बड़े ड्रम में अच्छे से मिलकर रखे और 15 दिनों बाद से इसको फसलों के बीच छिड़काव भी करें।
नीम पत्ती घोल
इस घोल के लिए नीम की 10-15 किलो पत्तियों की आवश्यकता होती है, पत्तियों को 200 लीटर पानी में भिगोकर 4 दिन तक रखे जब पानी का रंग हरा पीला हो जाए तो इसका छिड़काव करें,इस बीमारियों से फसल दूर रहती है।
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