Thursday, November 7, 2024

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रेलवे टिकट में जो ये PNR होता है, तो उसका असली मतलब पता है क्या आपको?

रेलवे टिकट में जो ये PNR होता .लेकिन अब टिकट कनफर्म नहीं हुआ, तो मतलब वेटिंग है या RAC. का कनफर्म हुआ तो क्लास कौन सी है और बर्थ कौन सी, सबका पता चलता है दस अंकों के एक नंबर से. इस नंबर को कहते हैं PNR. PNR का मतलब है की Passenger Name Record. इससे आप वाकिफ होंगे, लेकिन क्या आप को इसके इतिहास के बारे में कुछ जानते हैं? जैसे पहला PNR कब शुरु हुआ? और किसको हुआ और इसके 10 अंकों का क्या मतलब है? ये सब शायद आप को ना पता हो, तो सबकुछ विस्तार से बताते हैं.

रेलवे टिकट बचपन में आपने स्कूल की किताबों में तो पढ़ा होगा कि भारत में पब्लिक के लिए पहली ट्रेन ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को चली थी. ये ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से ठाणे के बीच में 35 किलोमीटर की दूरी तय करती थी. हालांकि, भारत में ट्रेन के पहले सफर की कहानी में सिर्फ इतनी नहीं है. जैसे ट्रेन दिन के 3 बजकर 35 मिनट पर चली और 4 बजकर 45 मिनट पर ठाणे पहुंची. तो 20 बोगियों वाली इस ट्रेन में 400 यात्रियों ने सफर किया था. थोड़ा और पीछे चलें तो पता चलता है कि 1832 में ब्रिटिश भारत में एक रेलवे सिस्टम की स्थापित करने का विचार पहली बार प्रस्तावित किया गया था.

रेलवे टिकट वैसे तब सब कुछ ठंडे बस्ते में रहा, लेकिन अंग्रेजों को बड़े रेल नेटवर्क के फायदे का अहसास था. तो इसलिए एक लंबे दशक की निष्क्रियता के बाद 1844 में भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने प्राइवेट का उद्यमियों को एक रेल प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गई थी. साल 1845 तक दो कंपनियों का गठन भी किया गया था. जिनका नाम “ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी” और “ग्रेट इंडियन के पेनिनसुला” रेलवे” था. दूसरी कंपनी ने ही मुंबई में पहली बार ट्रेन को पटरी पर उतारा.था

रेलवे टिकट खैर, 1947 में देश आजाद हुआ और उसके 22 साल बाद 1 मार्च 1969 के दिन देश की पहली बार सुपरफास्ट ट्रेन ब्रॉडगेज लाइन पर दिल्ली से हावड़ा के बीच दौड़ी. थी देश और ट्रेन दोनों अब बहुत आगे आ गए हैं और दो दिन पहले ही यानी 15 जनवरी 2023 को प्रधानमंत्री मोदी ने आठवीं वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई. है आपको लगेगा इनके बीच में PNR कहां अटका? सही पकड़े, PNR तो आया ही है बीच में

पहले PNR का इतिहास रेलवे टिकट में जो ये PNR होता

साल 1986 के जुलाई महीने में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारतीय रेलवे ने कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन की सेवा शुरुआत की थी. इसके बाद 11 नवंबर 1987 को पहली बार PNR किस नंबर की शुरुआत हुई. थी आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पहला PNR दिवंगत माधव राव सिंधिया (Madhava Rao Scandia) को इशू किया गया था. माधवराव सिंधिया तब रेल मंत्री ही हुआ करते थे. कोलकाता से जारी हुए इस PNR का नंबर था 610040.

रेलवे टिकहम और आप हैरान है और कहें ये तो सिर्फ 6 अंकों का है, तो ये एकदम सही नंबर है. शुरुआती दिनों में PNR 6 अंकों का ही होता था. PNR के शुरुआती में तीन अंकों में एक राज छुपा ही होता है. इस राज को बताने से पहले आपको एक जरूरी जानकारी भी देते हैं. कि दरअसल, देश में कुळ पांच Passenger Reservation System (PRS) हैं. ये इस तरह से हैं-

नंबर कोड जोन

1 SCR Secunderbad
2,3 NR, NCR, NER, NWR New Delhi
4,5 SR, SWR, SCR Chennai
6,7 NFR, ECR, ER, ECOR, SECR,SER Calcutta
8,9 CR, WCR, WR Mumbai

देश के पांच PRS

रेलवे टिकट पहले तीन अंक में इस बात की तहकियात करते हैं कि आपने टिकट कहां से बुक किए हो और बचे हुए 7 डिजिट कंप्यूटर की करामात हैं. आजकल ऑनलाइन के जमाने में कई बार तो दूसरे जोन से भी आपकी टिकट बुक हो ही जाती है. शायद उपलब्धता की वजह से. ही समय के गुजरने के साथ PNR अब दस अंकों का ही हो गया है.

Resource : https://bit.ly/3ZHUOnl

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