Monday, February 10, 2025

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सीता नवमी: जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और दिव्य उपाय

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम की पत्नी माता सीता का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं इस शुभ अवसर का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और दिव्य उपाय।

सीता नवमी का महत्व:

सीता नवमी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान राम की पत्नी माता सीता का जन्म हुआ था। माता सीता को मर्यादा, पतिव्रता और त्याग की देवी माना जाता है। सीता नवमी के दिन उनकी पूजा करने से सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होता है।

शुभ मुहूर्त:

सीता नवमी 16 मई 2024 को मनाई जाएगी।

  • नवमी तिथि प्रारंभ: 15 मई 2024 को दोपहर 03:16 बजे से
  • नवमी तिथि समाप्त: 16 मई 2024 को दोपहर 02:44 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 16 मई 2024 को दोपहर 12:13 बजे से 12:52 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: 16 मई 2024 को सुबह 11:15 बजे से 12:04 बजे तक

पूजन विधि:

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को स्वच्छ कर सजाएं।
  • एक चौकी पर माता सीता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • माता सीता को गंगाजल, दूध, घी, शहद, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • माता सीता की आरती करें और ‘सीता रमेश्वर मंत्र’ का जाप करें।
  • ‘सीताचरित्र’ का पाठ करें।
  • कन्याओं को भोजन कराएं और दान दें।

दिव्य उपाय:

  • सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करने से सुख, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होता है।
  • इस दिन व्रत रखने से मन शांत होता है और पापों का नाश होता है।
  • माता सीता को पीले वस्त्र और कमल के फूल अर्पित करने से धन प्राप्त होता है।
  • सीता नवमी के दिन ‘सीता सप्तशती’ का पाठ करने से कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोष दूर होते हैं।

सीता नवमी का त्योहार हमें मर्यादा, पतिव्रता और त्याग का संदेश देता है। इस दिन माता सीता की पूजा करके हम उनके आदर्शों को अपना सकते हैं।

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अतिरिक्त जानकारी:

  • सीता नवमी के दिन कुछ लोग 24 घंटे का व्रत भी रखते हैं।
  • इस दिन कुछ लोग रामचरितमानस का पाठ भी करते हैं।
  • सीता नवमी के दिन रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।
  • सीता नवमी का महत्व:
  • सीता नवमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार माता सीता के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। माता सीता को भगवान राम की पत्नी और देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। सीता नवमी का दिन पतिव्रता धर्म, त्याग और सदाचार का प्रतीक माना जाता है।
  • सीता नवमी शुभ मुहूर्त:
  • वर्ष: 2024 तिथि: 16 मई, 2024 (गुरुवार) नवमी तिथि प्रारंभ: 15 मई, 2024 (बुधवार) को शाम 06:44 बजे से नवमी तिथि समाप्त: 16 मई, 2024 (गुरुवार) को शाम 07:21 बजे तक अभिजीत मुहूर्त: 16 मई, 2024 (गुरुवार) को दोपहर 12:06 बजे से 12:55 बजे तक
  • सीता नवमी पूजन विधि:
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • अपने घर को साफ-सुथरा और शुद्ध करें।
  • एक चौकी या वेदी स्थापित करें और उस पर माता सीता की मूर्ति या प्रतिमा रखें।
  • माता सीता को गंगाजल, दूध, घी, शहद, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
  • माता सीता की आरती गाएं और “ॐ श्री सीतायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • माता सीता से अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  • व्रत रखने वाले लोग दिन भर फलाहार करें।
  • शाम को फिर से माता सीता की पूजा करें और आरती गाएं।
  • रात में कथा सुनें या पढ़ें।
  • सीता नवमी दिव्य उपाय:
  • सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है।
  • इस दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
  • माता सीता का ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • सीता नवमी के दिन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
  • इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करने से माता सीता की कृपा प्राप्त होती है।
  • सीता नवमी कथा:
  • एक बार मिथिला नगरी के राजा जनक को पुत्री प्राप्ति की इच्छा हुई। उन्होंने पुत्री प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया। यज्ञ के बाद जब वे हल चला रहे थे, तो धरती से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई। इस कन्या का नाम सीता रखा गया। सीता बड़े होकर अत्यंत रूपवती और गुणवती बन गईं।
  • एक दिन स्वयंवर का आयोजन किया गया, जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण, परशुराम सहित अनेक राजकुमार शामिल हुए। स्वयंवर में भगवान राम ने शिव धनुष उठाकर सीता का हाथ जीता।

व्रत कथा

मिथिला के राजा जनक पुत्री प्राप्ति की कामना से पुत्रेष्टि यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ के अंत में, जब वे धरती को हल जोत रहे थे, तो उन्हें एक कलश मिला। कलश को खोलने पर उन्हें देवी सीता प्राप्त हुईं। देवी सीता अत्यंत सुंदर और गुणवती थीं। राजा जनक ने उनका पालन-पोषण बेटी की तरह किया।

जब सीता युवती हुईं, तो उनकी शादी स्वयंवर में भगवान राम से हुई। विवाह के बाद, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास गए। वनवास के दौरान, सीता का अपहरण रावण ने कर लिया। भगवान राम ने रावण से युद्ध कर सीता को मुक्त कराया।

सीता नवमी देवी सीता के त्याग और धैर्य का स्मरण द

संदर्भ -सीता नवमी पर देवी सीता की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 मई को सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.

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