एलोवेरा (aloe vera) एक औषधीय फसल है। एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) से किसानों को कम लागत में भी अधिक मुनाफा होता है। आपको बता दें, इसमें आमतौर पर कीट-रोग नहीं लगते हैं। एलोवेरा से जेल निकालकर, इसका इस्तेमाल कई तरह के उत्पादों में किया जाता है। एलोवेरा का जेल और जूस सेहत से लेकर कॉस्मेटिक तक में उपयोग किया जाता है। उपज की प्रोसेसिंग करके किसान अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं। इसलिए एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) करने वाले किसानों को इसकी प्रोसेसिंग के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लागने की भी सलाह दी जाती है।
तो आइए,ताजा खबर online के इस ब्लॉग एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) और एलोवेरा की प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए जरूरी बातें और जेल निकालने की प्रोसेसिंग को जानते हैं।
सबसे पहले जेल निकालने की प्रोसेसिंग को जानते हैं।
ऐसे होती है एलोवेरा की प्रोसेसिंग (processing of aloe vera)
- पानी में पौटैशियम मिलाकर एलोवेरा को धोकर साफ किया जाता है।
- इसके बाद छोटे-छोटे टुकड़े करके गर्म पानी में डालकर छोड़ दिया जाता है।
- फिर इससे जेल निकालने का काम किया जाता है।
- जेल निकालने के बाद ब्लेंडिंग मशीन में डालकर 70 डिग्री तक गर्म किया जाता है।
- फिर इससे जो जूस बनता है, उसमें प्रिजरवेटिव मिलाकर फ्रिज में ठंडा किया जाता है।
- प्रिजरवेटिव मिलाने से जूसे लंबे समय तक चलता है।
एलोवेरा की प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए जरूरी बातें (Important things to set up processing unit of Aloe Vera)
- जूस की प्रसंस्करण इकाई लागने के लिए व्यवसायिक लाइसेंस और कुछ जरूरी दस्तावेज की जरूरत पड़ती है।
- सबसे पहले आप निश्चित करें कि यह इकाई जेल, जूस या सौंदर्य उत्पाद बनाने के लिए करेंगे।
- इसके बाद इकाई के अनुसार आपको व्यवसाय का पंजीकरण कराना होगा।
- राज्य प्राधिकरण में फैक्ट्री लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी सर्टिफिकेट लेना होगा।
- इस प्रकरियों को पूरी करने के बाद आप प्रसंस्करण इकाई शुरू कर सकते हैं।
इस प्रसंस्करण इकाई का लागत करीब 5 लाख रुपए तक आती है।
एलोवेरा प्रसंस्करण इकाई के लिए आवश्यक मशीनें (Machines Required for Aloe Vera Processing Unit)
- खेत से एलोवेरा पत्ता लाने के लिए कूलिंग वैन
- एलोवेरा जेल बनाने की इकाई
- जैल को बोतलों में भरने की मशीन
- जेल के परीक्षण के उपकरण
एलोवेरा की खेती कैसे करें (aloevera ki kheti kaise karen)
एलोवेरा की खेती करने का उचित समय फरवरी से अगस्त का महीना होता है। इसकी खेती मुख्य रूप में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात में खूब होती है।
एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for aloe vera cultivation)
एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। 7.5 से 8.5 पीएचमान वाली मिट्टी में इसकी करनी चाहिए।
खेत की तैयारी (farm preparation)
- एलोवेरा की पौधे लगाने से पहले खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करें।
- अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद खेत में अच्छी तरह से मिला दें।
- पौधे की रोपाई करते समय पौध से पौध की दूरी 2 फीट रखें।
- रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें।
- इसके बाद आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहें।
- रोपाई के 8 से 10 महीने बाद एलोवेरा कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- एलोवेरा की फसल की कटाई साल में 2 बार की जा सकती है।
एलोवेरा की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earning in Aloe Vera Cultivation)
एक एकड़ खेत में लगभग 11 हजार से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे 25 से 35 टन एलोवेरा का उत्पादन हो जाता है। बाजार में एलोवेरा की कीमत 35 से 50 हजार टन होती है। लागत की बात करें तो एक एकड़ की खेती में लगभग 50 हजार से 1 लाख रुपए तक की लागत आती है।
संक्षेप में कहें तो बाजार में एलोवेरा और इससे बने उत्पादों की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है।
ये तो थी एलोवेरा की खेती (aloe vera ki kheti) और एलोवेरा की प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए जरूरी बातें। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।
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