Madhur hatyaakaand : घोपन बनिया के पुरखे जम्मू-कश्मीर में ये केसर की खेती किया करते थे। फिर इसके बाद 1932 में घोपन बनिया गोरखपुर में आकर व्यापार करने लगे। ये शुरुआत किराने के सामान से की पर बाद में मौत के बाद अंत्येष्टि का सामान बेचने लगे। तो यहीं से उनका व्यापार बढ़ता चला गया है।
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गोरखपुर जिले के तिवारीपुर में प्रिंस ने जिस तरह अपने पिता मधुर मुरली की हत्या की है, तो उस तरह कसाई भी किसी बकरे को नहीं मार सकता। ये एक्सपर्ट डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने बताया है कि मधुर मुरली की पोस्टमार्टम के रिपोर्ट से यह साफ है कि उनकी हत्या के समय प्रिंस ने बर्बरता की हदें पार कर दीं। ये रिपोर्ट के मुताबिक मधुर के सिर के पीछे की छह हड्डियां टूटी हुई थीं।ये मस्तिष्क को घेरने वाला कपाल ढांचा भी क्षतिग्रस्त था और अंदर मस्तिष्क तक की चोट थी। जिससे की उनकी मौत भी हो गई। वहीं, गर्दन को काटा नहीं, बल्कि रेता गया था।
Madhur hatyaakaand : डॉ. नीरज के मुताबिक, कपाल के हड्डी के ढांचे में बंद मस्तिष्क को एक जिलेटिनस के पदार्थ है,
जो सेरेब्रोस्पाइनल की तरल में तैरता रहता है। यह तरल तेजी से घूमते हुए सिर में मस्तिष्क को झटकों से बचाने के लिए शॉक अब्जाॅर्वर का काम भी करता है। ये कपाल हड्डी के खुरदुरे ढांचे के अंदर मस्तिष्क में उछल भी सकता है। तो इस हिस्से तक चोट पहुंचते ही मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है, फिर मौत हो भी जाती है।
डॉ. नीरज ने बताया है कि इसके अलावा अगर गर्दन भी काट दी जाए तो जिंदा बच पाना संभव ही नहीं है। क्योंकि हमारा पूरा शरीर दिमाग के आदेश पर ही काम करता है और नाक से खींची गई ऑक्सीजन को हृदय से खून के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचाता है और वापस खींचता है। गर्दन कटने पर यह दोनों क्रियाएं बंद हो जाती हैं। तो अगर इनमें से कोई एक प्रक्रिया भी बंद हो जाती है तो व्यक्ति की तत्काल मौत हो जाती है। तो ऐसे में सिर पर चोट से दिमाग और शरीर को आदेश देना या संचालित करना बंद कर देता है तो शरीर काम करना भी बंद कर देता है। वहीं, दूसरी ओर ऑक्सीजन न मिलने पर दिल का धड़कना भी बंद कर देता है और गर्दन कटने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है। ये मधुर की हत्या में ये दोनों ही काम किए गए है जो आरोपी की बर्बरता को दर्शाता है।
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