Berseem Ki Kheti: पशुओं के लिए हरे चारे का बहुत अधिक महत्व है। हरे चारे में किसान बरसीम, चरी, ज्वार और नेपियर घास जैसे कई फसलों की खेती करते हैं। इसमें बरसीम की खेती हमारे देश में सबसे अधिक करते हैं।
तो आइए,ताजा खबर ऑनलाइन के इस लेख में बरसीम की खेती (Berseem Ki Kheti) को विस्तार से जानें।
सबसे पहले यहां हम लोग हरे चारे के महत्व को जान लेते हैं।
Berseem Ki Kheti हरे चारे का महत्व (importance of green fodder)
हरे चारे में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो पशुओं में होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है।
हरे चारे में विभिन्न पोषक तत्व जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
पशुओं को हरा चारा खिलाने से पशुओं के रक्त संचार में वृद्धि होती है।
हरे चारे में प्रचुर मात्रा में कैरोटीन पाया जाता है। जो विटामिन ए का स्रोत है। यह पशुओं में अन्धेपन की बीमारी से मुक्ति दिलाती है।
हरा चारा खिलाने से पशुओं की त्वचा मुलायम और चिकनी होती है।
हरा चारा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचनशील होता है जिससे पशुओं में पाचनशीलता बढ़ जाती हैं।
हरा चारा खिलाने से पशु समय से गर्मी में आने लगते है तथा गर्भ धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है।
हरा चारा खिलाने से दूध देने वाले पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
आइए अब जानते हैं बरसीम की खेती (Barsim cultivation) के बारे में।
Berseem Ki Kheti बरसीम हरे चारे के लिए सबसे उत्तम फसल है। यह पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक होता है। अन्य चारे वाली फसलों की तुलना में इसका स्वाद भी बेहतर होता है। यही कारण है पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसकी बढ़वार जल्दी होती है और इसकी खेती से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए बरसीम की खेती करके किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
Berseem Ki Kheti बरसीम चारा के फायदे
बरसीम का चारा बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। इसमें 20-21 प्रतिशत प्रोटीन, 75-80 प्रतिशत रेशा, 1-2 प्रतिशत कैल्शियम और .28 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है, जो कि पशुओं के लिए उत्तम है। इसीलिए बरसीम को ‘चारे को राजा’ कहते हैं।
बरसीम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
रबी के मौसम के दौरान इसकी खेती हम करते है । बरसीम ठंडी जलवायु का पौधा माना गया है। इसके खेती के लिए 25 से 30 सेंटीमीटर बारिश की जरूरत पड़ते है
बरसीम के खेती के लिए 15-25 सेंटीग्रेड औसत तापमान की जरूरत होनी चाहिए बुआई के समय 20-30 सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकत होते है
मिट्टी की बात करें तो हम बरसीम की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है। मिट्टी का पीएच मान 7-8 के बीच होनी चाहिए। अधिक उत्पादन के लिए अधिक जल धारण क्षमता वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मिटटी मानी गई है ।
खेत की तैयारी करे
Berseem Ki Kheti बरसीम के लिए अच्छी जल निकासी वाली जमीन में ही इसकी खेती हम करते है । खेत की एक या दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई हम करवा लेते है जिससे मिट्टी मुलायम हो जाती है । इसके बाद तीन या चार हैरो चलाकर खेत में पाटा लगाएं ताकि खेत समतल हो जाए।
Berseem Ki Kheti इस की बुआई अक्टूबर महीने तक कर लेना चाहिए। बरसीम बोने के लिए 1 एकड़ में 8 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज हमेशा सरकारी या अधिकृत विक्रेता से ही खरीदे अच्छी पैदावार लेने के लिए बरसीम में बहुत कम मात्रा में सरसों व जई के बीज भी मिलाया जा सकता हैं। बीजों को बोने से पहले बीजों को अच्छी उपचारित कर लेना चाहिए। उपचारित करने से बरसीम की बढ़वार करने से अच्छी होजाती है
सिंचाई प्रबंधन
बरसीम हरे चारे की फसल होते है। अतः सिंचाई की भी समुचित आवश्यकता करनी चाहिए ।
यदि आप गर्मी के मौसम में खेती कर रहे हैं तो 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें ले
हल्की मिट्टी में 3 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें ले ।
भारी मिट्टी में 6 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते है
ठंड के मौसम में 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई होते है ।
उर्वरक प्रबंधन
Berseem Ki Kheti बरसीम में उर्वरक की आवश्यकता कम पाए जाते है। सामान्यतः 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 20 पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय खेत में छिड़ककर मिट्टी में अच्छी तरह मिला लेनी चाहिए। इसके लिए कंपोस्ट या जैव उर्वरक खाद का प्रयोग करें, तो पौधे की अच्छी बढ़वार होने लगती है
बरसीम की उन्नत के किस्में
हरे चारे के लिए सदैव उन्नत किस्मों का ही उपयोग करें क्योंकि उन्नत किस्में स्थानीय किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार होते है। अधिक और शीघ्र चारा प्राप्त करने के लिए बरसीम की कुछ किस्में इस प्रकार के भी होते है ।
वरदान (एस-99-1)
यह किस्म मुख्य रूप से देश के उत्तरी राज्यों के लिए विकसित की गई है . यह 150 से 160 दिन में फलती है। इस किस्म से आप 5-6 बार कटाई भी कर के हरा चारा ले सकते हैं। इसकी उपज क्षमता 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होते है
मेस्कावी
यह सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा रही है इसके पौधे झाड़ीनुमा और सीधे बढ़ने वाले होते है और इसके तने मुलायम होते है। इसकी उपज क्षमता 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पूसा ज्वाइन्ट
इस किस्म की विशेषता रूप यह है कि इसमें एक ही जगह से चार से पांच पत्तियां निकलती है। इसके फूल बड़े आकार के होते है। यह किस्म अधिक सर्दी में और पाले सहन करने की सक्षम होते है
अन्य किस्में
जे बी- 1, बी एल- 2, बी ए टी- 678, टी- 724 वार्डन,के टी- 674, 678, 730, 780, पूसा गैंट, जेबी- 3, 4, एस- 99-1, इग्फ्री- एस- 99 से
-1,एचएफबी 600, बीएल-1, 10, 22, 30, 42, 92, 180, टाइप-526, 529, 560, 561, से यूपीबी-103,104, 105 और डिप्लोइड और टी- से 560 आदि प्रमुख रूप माना गया है
चारे के लिए ऐसे ही करें बरसीम की कटाई
Berseem Ki Kheti बरसीम की फसल को कई बार कटाई की जाती है। आप अपने पशुओं के चारे की उपलब्धता के अनुसार इसकी कटाई करवा सकते हैं। परन्तु पहली कटाई बुआई के 45 से 50 दिनों बाद ही करें। इसके बाद 25 से 30 दिनों के अंतर्गत पर इसकी कटाई करते है फसल की कटाई जमीन की सतह से 5 से 7 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर कर सकते है । गर्मी के मौसम में 35 से 40 दिनों केअंतर्गत पर कटाई कर लेनी चाहिए।
ऐसे ही खिलाएं पशुओं को बरसीम
अधिक बरसीम खिलाने से पशुओं में अफारा की बीमारी हो जाती है। इसलिए सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाएं या फिर पहले सूखा चारा फिर बरसीम खिलाएं।
Resource …https://bit.ly/3WLbloN